‘‘नायमात्मा प्रवचनेन लक्ष्मी न मेघया न बहुनाश्रुतैन।’’ 14 श्रावण संवत 1936 के…
Read moreप्रिय पाठकवृन्द! अंग्रेजों के आगमन से भारत में कई विषय नये ज्ञात हुए और कई भ्रांत…
Read moreजैन और बौद्ध धर्म को ‘ब्राह्मण संस्कृति’ की तुलना में ‘श्रमण संस्कृति’ कहा जाता है। ब…
Read moreमहर्षि दयानन्द ने अपने ग्रंथो में यों तो शतशः नीति श्लोक उद्धत किये हैं किन्तु इनमें …
Read moreरामशरण युयुत्सु पिछले दिनों यह सुखद अवसर मिला, जब हरियाणा सरकार द्वारा ‘कु…
Read moreभारतवर्ष का इतिहास ही वास्तव में विश्व का इतिहास है। सृष्टि की आदि से कुछ का…
Read moreइतिहास हमें अतीत की भूलों से बचने और अतीत के गौरव से प्रेरित होकर उज्ज्वल भविष्य का न…
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