इतिहास का सबसे पहला और सबसे खतरनाक गौरक्षक हरफूल जाट जुलानी वाला



88 साल पहले चौधरी हरफूल जाट जुलानी वाले ने (सन 23 जुलाई 1930 में) अकेले ने ही टोहाना (जिला फतेहाबाद ,हरियाणा ) का बूचडखाना तोड़कर गौ हत्या के खिलाफ बिगुल बजाया था और एक शुरुआत की थी गौ हत्यारों के वध करने की I उसके बाद जींद , नरवाना ,रोहतक ,गोहाना के हाथे (बूचडखाने ) भी खुद अकेले अपने दम पर जा कर तोड़े और गौ माँ को मुक्त कराया साथ हि सैँकडोँ गौ हत्यारोँ को मारा I चौधरी हरफुल जाट जी के नाम का आतंक गौ हत्यारोँ मेँ ऐसा फैल गया था कि हरफुल के आने कि बात सुनकर हत्यारे गांव छोडकर भाग जाते थे । हरफुल जाट जी को कई दिनोँ तक भुखा रहना पडता था लेकिन गाऊ माता कि रक्षा कि भुख खत्म नहीँ हुई । एक गद्दार ने हरफुल जी को पकडवाने मेँ अंग्रेजोँ की मदद की । 1936 में गौ रक्षा करने के जुर्म इस महान गौपुत्र को फांसी की सजा दी गयी और फिरोजपुर (पंजाब ) की जेल में फांसी के बाद उनकी देह को सतलुज में प्रवाहित कर दिया I अंग्रेजोँ को डर था कि अगर हरफुल का शव लोगोँ को शोपा गया तो काफी बडा दंगा हो सकता है । बेजुबानों के लिए फांसी चढ़ने वाले इस एकमात्र गौपुत्र को शत शत नमन जय हो चौधरी हरफूल जाट की । कृप्या इसे शेयर अवश्य करे ।

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