देखिये, पहले मेरे कुछ सवाल है आप सबसे
आरक्षण क्या है?
आरक्षण किसके लिए है?
आरक्षण का लाभ कौन ले रहा है?
मैं अपनी ही बात करूं तो मैं ब्राह्मण वर्ग से हुँ और जाहिर है मुझे आरक्षण नही मिला हुआ और ना ही मुझे आरक्षण से कोई मतलब। मेेरे पिता जी एक लोकल न्यूजपेपर में काम करते है।
बस बात ये है कि जातिगत आरक्षण के नाम पर हम सबसे ये भेदभाव क्यो?
मैं स्टूडेंट हूँ, और मेरे बहुत से दोस्त है जोकि आरक्षण की श्रेणी में आते है। कुछ के पिता अच्छी सरकारी नौकरी पर है, अच्छी कमाई करते है। और कुछ के पिता ना तो ज्यादा कमा ही पाते है और ना ही कोई फैमिली सपोर्ट इतना अच्छा है।
अब मान लीजिए की हम एक साथ पढते है एक स्कूल में, एक ही क्लास में।
मेरी फीस 1000रु ली जाती है जबकि मेरे दोस्त जो ओबीसी वर्ग से है उससे 500 लिये जाते है और जो एस सी वर्ग से है उससे सिर्फ 300 रु
अब फर्क देखने वाली बात ये है कि हम एक साथ खेले एक साथ बड़े हुए एक ही स्कुल एक ही क्लास फिर ये भेदभाव क्यों?
और ये भेदभाव हमे किसने सिखाया?
अब जरा आगे सुनिए।
मान लीजिए हम सरकारी नोकरी के लिये फार्म डालते है।
मै और मेरा दोस्त फार्म भरने गए उसी फार्म के मै 500 रूपये भरता हूँ और मेरा दोस्त जिसके पिताजी सरकारी नोकरी पर है वही फार्म वो 50 रूपये में भर देता है।
अब और आगे सुनिए।
हम दोनों ने एकसाथ जीतोड़ तैयारी की परीक्षा की और मै 80 नम्बर लाने के बावजूद मेरा चयन नही होता और मेरा दोस्त 60 नम्बर पाकर भी चयनित है।
यइ कैसा आरक्षण?
इसका मतलब प्रतिभाशाली युवक तो नोकरी पा ही नही सकता।
इतना ही नही अगर आप रेलवे में फार्म भरते हो और SC केटेगरी से हो तो आपकी परीक्षा जहाँ होगी वहा तक का रैलवे पास आपके घर पहुंच जायेगा वो अलग बात है की आपके पिताजी भी रेलवे मे है और आपके पास पहले से ही उनका पास है। और जिसको शायद उस पास की ज्यादा आवश्यकता है उसे वो नही मिल रहा।
इसे आपको पता चल ही गया होगा की आरक्षण का लाभ कैसे लोग ले रहे है।
क्या आपको नही लगता जी की आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए।
गरीबी जाति देखकर नही आती।
एक SC वर्ग के कमिश्नर का बेटा आरक्षण का लाभ ले रहा है।और एक रेडी लगाने वाले ब्राह्मण का बेटा आरक्षण का लाभ नही ले पा रहा।
आरक्षण संविधान की मूल भावना "समानता का अधिकार" का खुल्लम खुल्ला उलंघन
है! अंधेर नगरी हे, क़ाबलियत को ताक पर रख इंसान की जाती देख कर नौकरी एवं
पद्दौन्ति दी जाती हे| जातिगत आरक्षण एक सामाजिक अन्याय है और अन्याय के
मार्ग से किस्सी का भी भला नहीं होता है ना देश का और ना हीं देश वासियों
का| जातिगत आरक्षण की बजह से कुछ लोगो को पिछड़ी एवं अत्यंत पिछड़ी जाति
में रख कर उनका अपमान किया जाता है तो कुछ लोगो की क़ाबलियत
का अपमान किया जाता है यह अन्याय अधिक समय तक नहीं चलेगा. यह अन्याय तो
समाप्त होकर रहेगा ,चाहे महाभारत ही क्यों न हो. न्याय और अन्याय की लड़ाई
में विजय तोह न्याय पक्ष की ही होगी. इतिहास गवाह है जब जब पृथ्वी पर
अन्याय बढ़ा तब तब सर्वनाश हुआ है. अन्याय करना और अन्याय सहना दोनों ही
पाप है उठो और सब मिलकर इस अन्याय अंत करे.
जय तिवारी
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